5 ESSENTIAL ELEMENTS FOR SIDH KUNJIKA

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देवी माहात्म्यं चामुंडेश्वरी मंगलम्

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति त्रयोदशोऽध्यायः

धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी ।

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं स:

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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति अष्टमोऽध्यायः

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति तृतीयोऽध्यायः

श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तरशत नाम्स्तोत्रम्

सरसों के तेल का दीपक है तो बाईं ओर रखें. पूर्व दिशा की ओर मुख करके कुश के आसन पर बैठें.

शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।

श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)

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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति नवमोऽध्यायः

ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।

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